बुधवार, 24 नवंबर 2010

खुदा कि नेमत
बनी सजा हमारी
सामने वाले कि नज़रे
बता देती है हमें
कितनी दूरियों कि चाहत
रखते है दिल में
हम भी मजबूर है
नजरो कि चाहत को
सम्मान से सर माथे पर रखने को
और दूर से ही राह बदल लेते है
ख़ामोशी को अपना साथी बना कर
नई राह चल देते है

रविवार, 6 दिसंबर 2009

राह सामने दो होगी
एक काँटों से भरि होगी
दूसरी चमकती रेत का दलदल होगी
समझके रह चुन्नी होगी
एक में काँटों से लहू लुहान पाव होगे
पर मंजिल तक पहुच जाऊगे
चमकती रेत दिल को बहुत लुभाए गी
पर पाव रखते ही मंजिल तो क्या मिलेगी
मौत के मुह में समां जाओगे
रह समझ कर चुनना
भले ही काँटों भरी ही सही
इमारते रोज गिरती है
फिर नई बन जाती है
वो इंसानी तामीर है
पर जिंदगी गिरती है
तो फिर बिखर जाती है
क्यों की वो खुदा की तामीर है

रविवार, 22 नवंबर 2009


सुकून नहीं मिलाता
कुछ नसीब ऐसे भी है जिन्हें सुकून नहीं मिलता,

तपते रेगिस्तानों में प्यासे को दरिया नहीं मिलता ,

झुलजती धुप में राही को द्रक्हतो के साये नहीं मिलता ,

कुछ नसीब ऐसे भी है जिन्हें शुकुन नहीं

मिलतातूफानों में घिरे मुसाफिर को किनारा नहीं मिलता ,

भंवर में फसे लोगो को जीवन नहीं मिलता,

कुछ नसीब ऐसे है जिन्हें शुकुन नहीं मिलता ,

अगरचे खवाहिशकरे दोस्ती कि दोस्त नहीं मिलाता,

मकान मील जाता है घर नहीं मिलता ,

रिश्तो कि भीड़ बहुत मिलती है अपना कहा सके वो रिश्ता नहीं मिलता ,

कुछ बदनसीब ऐसे भी है जिन्हें दिल से शुकुन नहीं मिलता
Posted by surabhi at 5:55 AM 3 comments
Sunday, March 16, 2008

कह दे सभी जज्बातफिर मुलाकात हो न हो

शायद इस जन्म मेंफिर बात हो न

hovaada न मिलाने कानिभाऊ गी हो न होशायाद इस जन्म मेंबात हो न होतेरे मिलाने कोन आऊ हो न होकह दे सभी जज्बातफिर बात हो न होशायद इस जन्म मेंमुलाकात हो न हो
Posted by surabhi at 1:34 AM 7 comments
Monday, February 25, 2008

करुनानिधान की कृपा से

वृक्षों पे नव किसलय निकलेकहकहे कुसुमो ने इस कोशल से लगायेकर्तव्य पथ से डेट रहेबसंत की कसौटी पे खरे रहेजगनिर्माता कलाकार भीदेख उन्हें कवि बनकविता में कार्न्ति बीजमानव मन में बोगायाउसकी कविता बिखरे न ये सोच मोन कमाओका काक लगाआपना काम पूरा कर चला
Posted by surabhi at 8:26 AM 0 comments
Tuesday, January 22, 2008

लकीर के फकीर बहुत मिलिगे ..

खुद से फकीरी की हो जहा में कम मिलेगे..

कद में ओरो से भले ही कम मिलेगे..

भरी भीड़ में भी हम ओरो से अलग दिखेगे
Posted by surabhi at 8:02 AM 1 comments
Monday, January 14, 2008

सूरज की तरह तू भी दमके ..

तुझ ही से हो जग रोशन ..

चाँदनी की थोडी चंचलता ..

पर मन हो चन्दा सा शीतल ..

धरती सा धीरज हो तुझमे ..

पर्वत सी द्र्धनता तू पाए ..

गंभीर गहरा सागर सा बन ..

शिखर सफलता के तू छुए ..

आशीष मेरी ..

छाया बन सदा tere साथ चले ..
Posted by surabhi at 7:16 AM 0 comments
Wednesday, January 2, 2008

aakhe
sach bolati aakhe.

dilo ke raj kholati aakhe..

insan ko insaniyat se jodati aakhe.

nazr mile to sach bolati aakhe..

nazar jhuke to kuchh chhipati aakhe..

yakin na ho agar to...

dekhe...

mamata se bhari maa ki aakhe..

pyar maagati masum bachche ki aakhe ..

masti chhalakati yuva aakhe..

anubhav se bhari bujurg aakhe..

bebasi lachari bhari garib ki aakhe..

gaurav se bhari viir javan ki aakhe..

dil ke raj kholati aakhe
Posted by surabhi at 8:03 AM 0 comments
Monday, December 10, 2007

mene is shahar me kuchh podhe lagaye hai..

mere na rahane par bhi phal dege..

agar unko sichate rahe to..
Posted by surabhi at 7:44 AM 0 comments
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